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हौसला

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9698

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नि:शक्त जीवन पर 51 लघुकथाएं

दोस्त


सीवरेज के पाइप का एक सिरा कमेटी की दीवार के साथ सटाकर दोनों ने अपना रहने का आशियाना बना लिया था। उसी में दोनों मित्र रात काटने लगे।

उस दिन सुबह-सवेरे वर्षा आरम्भ हुई तो निरन्तर चलती रही। लंगड़े गोपाल ने कहा-भाई सूरदास आज तो भीख मांगने भी नहीं जाया जा सकता ....।

'भीगते हुए निकलें भी तो हमें भीख देने वाला मिलेगा कौन? पेट पर हाथ रखकर सूरदास ने लम्बा सांस लिया।'

वर्षा कुछ कम हुई तो गोपाल देखने के लिए बाहर निकला। उपयुक्त समय देखकर सूरदास ने रोटी की पोटली टटोल ली। केवल एक रोटी बची था। उसने पोटली वहीं दबाकर रख दी।

अंदर आते ही गोपाल ने रोटी की पोटली निकाल ली। इकलौती रोटी सूरदास को देते हुए- भाई सूरदास कल की दो रोटियां रखी हैं, एक तुम खा लो... दूसरी मैं खा लूंगा...।

नहीं नहीं गोपाल इसे तुम ही खा लो। भाई मेरा तो आज व्रत है.... रोटी वापस करते हुए, सोच विचार कर तैयार किया हुआ जवाब सूरदास ने दे दिया।

 

० ० ०

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