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हौसला

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9698

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नि:शक्त जीवन पर 51 लघुकथाएं

फायदा


डॉ॰ भार्गव के कहने से प्रदीप विकलांग लोगों के काम आने वाला सारा सामान दुकान में भरकर बैठ गया था परन्तु एक वर्ष पूरा होने के बाद भी वह बड़ी मुश्किल से दुकान का खर्च ही निकाल पाया।

उसका दोस्त गंभीर एक सामाजिक संस्था चलाता था। दोनों ने मिलकर विकलांग लोगों की सहायता के लिए एक निःशुल्क कैम्प का आयोजन किया। इस कैम्प में अपाहिजों की सहायता के लिए प्रदीप ने एक लाख रुपये का सामान निःशुल्क देने की घोषणा की। दान देने का खूब प्रचार किया गया। सरकार से भी अनुदान लिया गया तथा कुछ समाज सेवियों ने भी चंदा दिया।

विश्व विकलांग दिवस पर आयोजित कैम्प इतना सफल हुआ कि लोग कई दिन तक इसकी चर्चा करते रहे।

कैम्प लगाने से सब खुश थे। सारा खर्च काटकर भी संदीप को पचास हजार की बचत हुई। सरकार भी विकलांगों की सेवा करके खुश हुई। सबसे अधिक खुश प्रदीप था क्योंकि एक लाख रुपये चंदे में देने के बाद भी सामान बेचकर उसको पचास हजार का फायदा हुआ तथा उसकी दुकान भी चल निकली।

 

० ० ०


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