लोगों की राय
उपन्यास >>
कंकाल
कंकाल
|
2 पाठकों को प्रिय
371 पाठक हैं
|
कंकाल भारतीय समाज के विभिन्न संस्थानों के भीतरी यथार्थ का उद्घाटन करता है। समाज की सतह पर दिखायी पड़ने वाले धर्माचार्यों, समाज-सेवकों, सेवा-संगठनों के द्वारा विधवा और बेबस स्त्रियों के शोषण का एक प्रकार से यह सांकेतिक दस्तावेज हैं।
श्रीचन्द्र आये। हठीली किशोरी ने बड़ा रूप दिखलाया। फिर मान-मनाव हुआ। देवनिरंजन को समझा-बुझाकर किशोरी फिर आने की प्रतिज्ञा करके पति के साथ चली गयी। किशोरी का मनोरथ पूर्ण हुआ।
रामा वहाँ रह गयी। हरद्वार जैसे पुण्यतीर्थ में क्या विधवा को स्थान और आश्रय की कमी थी!
पन्द्रह बरस बाद काशी में ग्रहण था। रात में घाटों पर नहाने का बड़ा सुन्दर प्रबन्ध था। चन्द्रग्रहण हो गया। घाट पर बड़ी भीड़ थी। आकाश में एक गहरी नीलिमा फैली नक्षत्रों में चौगुनी चमक थी; परन्तु खगोल में कुछ प्रसन्नता न थी। देखते-देखते एक अच्छे चित्र के समान पूर्णमासी का चन्द्रमा आकाश पट पर से धो दिया गया। धार्मिक जनता में कोलाहल मच गया। लोग नहाने, गिरने तथा भूलने भी लगे। कितनों का साथ छूट गया।
विधवा रामा अब सधवा होकर अपनी कन्या तारा के साथ भण्डारीजी के साथ आयी थी। भीड़ के एक ही धक्के में तारा अपनी माता तथा साथियों से अलग हो गयी। यूथ से बिछड़ी हुई हिरनी के समान बड़ी-बड़ी आँखों से वह इधर-उधर देख रही थी। कलेजा धक-धक करता था, आँखें छलछला रही थीं और उसकी पुकार उस महा कोलाहल में विलीन हुई जाती थी। तारा अधीर हो गयी थी। उसने पास आकर पूछा, 'बेटी, तुम किसको खोज रही हो?'
तारा का गला रुँध गया, वह उत्तर न दे सकी।
तारा सुन्दरी थी, होनदार सौंदर्य उसके प्रत्येक अंग में छिपा था। वह युवती हो चली थी; परन्तु अनाघ्रात कुसुम के रूप में पंखुरियाँ विकसी न थीं। अधेड़ स्त्री ने स्नेह से उसे छाती से लगा लिया और कहा, 'मैं अभी तेरी माँ के पास पहुँचा देती हूँ, वह तो मेरी बहन है, मैं तुझे भलीभाँति जानती हूँ। तू घबड़ा मत।'
हिन्दू स्कूल का एक स्वयंसेवक पास आ गया, उसने पूछा, 'क्या तुम भूल गयी हो?'
तारा रो रही थी। अधेड़ स्त्री ने कहा, 'मैं जानती हूँ, यहीं इसकी माँ है, वह भी खोजती थी। मैं लिवा जाती हूँ।'
स्वयंसेवक मंगल चुप रहा। युवक छात्र एक युवती बालिका के लिए हठ न कर सका। वह दूसरी ओर चला गया और तारा उसी स्त्री के साथ चली।
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai