लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> खजाने का रहस्य

खजाने का रहस्य

कन्हैयालाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9702

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

152 पाठक हैं

भारत के विभिन्न ध्वंसावशेषों, पहाड़ों व टीलों के गर्भ में अनेकों रहस्यमय खजाने दबे-छिपे पड़े हैं। इसी प्रकार के खजानों के रहस्य

लालायन ने भारी संकट से उबार लिया था। लाला एक क्षण भी न गंवाकर तुरन्त ही उस कमरे में पहुँचा, जिसमें उसका दोस्त  (होटल-मालिक) बन्द था। जाते ही वह बोला- 'मित्र, क्षमा करना, मुझ से भूल हुई।'

होटल वाला भी इतनी देर की सजा में कुछ नम्र हो गया था। बोला- 'भाई साहब, भूल तो मेरी ही थी, मुझे क्षमा करो। मेरे सन्दूकों को दे दो, मैं जा रहा हूँ।'

'भूख लगी होगी, कुछ खा-पी लो।' यों कहकर लाला ने लालायन को आवाज दी- 'भई, कुछ मिठाई और नमकीन भेज दो।' लालायन तो तैयार थी ही। तुरन्त दो प्लेटों में नाश्ता लेकर उपस्थित हो गई। नशीले पदार्थ वाली प्लेट तो लाला के दोस्त के सामने रख दी और सादी लाला के सामने।

दोनों मित्रों ने छककर नास्ता किया।

नशा कुछ तेज पड़ गया था, अत: नास्ता करते ही होटल वाले को नींद का झोंका आ गया और वह सोफा पर ही पसर गया। गहरा नशा हो जाने पर जब वह पूरी तरह बेसुध हो गया तो योजनानुसार उसी की कार में लादकर उसे होटल भेज दिया गया। अपने मालिक को उस दशा में देखा तो होटल-मैनेजर को चिन्ता हुई, किन्तु लाला के साथ मधुर-सम्बन्धों का उसे ज्ञान था। अत: लाला के आदमी से उसने कुछ न कहा। अपने स्वामी की सेबा-श्रुसूषा में सभी होटल-कर्मचारी जी-जान से जुट गये।

रात के बारह बजे तक भी जब बेहोशी न टूटी तो मैनेजर ने डाक्टर को फोन किया। डाक्टर ने परीक्षा करके कहा- 'यदि दो घण्टे पूर्व आप मुझे याद कर लेते तो कुछ हो भी सकता था, किन्तु अब कुछ नहीं हो सकता। इनकी मौत हुए लगभग एक घण्टा बीत चुका है।'

'ऐं...' अपने स्वामी की मौत का समाचार सुना तो होटल-मैनेजर के पैरों-तले जमीन खिसक गई।

''मौत का कारण क्या है?' मैनेजर ने डाक्टर से पूछा।

'मन्द-विष के खाने से इनकी मौत हुई है।' डाक्टर ने यों कहा और अपनी फीस ऐंठकर चलता बना।

मैनेजर हैरान-परेशान! 'हे भगवान, इन्हें मन्द-विष किसने दिया। कहीं लाला ने तो अपने मित्र के साथ बिश्वासघात नहीं कर दिया। अब क्या हो।'' मनोव्यथा से छुटकारा पाने का कोई उपाय न आ। अत: जो कुछ भी होगा, सवेरे देखा जायेगा।' यह सोचकर मैनेजर ने होटल बन्द कर दिया और अपने स्वामी की लाश के पास बैठा हुआ आँसू बहाने लगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai