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नीलकण्ठ

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :431
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9707

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गुलशन नन्दा का एक और रोमांटिक उपन्यास

'घबराओ नहीं - नफरत के इम्तहां में ही मुहब्बत की सीढ़ी छिपी है - फिर तुम औरत हो, एक हसीन व दिल में समा जाने वाली औरत - तुम्हें क्या डर - तूफानों से लड़ना तो तुमने खूब सीखा है।'

बेला चुप हो गई और अपने आंचल का किनारा मुँह में चबाते हुए किसी गहरी सोच में डूब गई। हुमायूं उठा और चलने लगा।

'आप चल दिए' - बेला ने अपने ध्यान में ही कहा।

'हाँ बेला, देर काफी हो चुकी है और काम बहुत है।'

'आप मेरा उत्तर न दीजिएगा?'

'जरूरत नहीं - मैं जानता हूँ कि तुम मेरा कहना कभी न ठुकराओगी - और इसी में तुम्हारी भलाई भी है।'

बेला की आँखों में आँसू आ गए जिन्हें हुमायूं ने बढ़कर प्यार से पोंछ डाला।

'कल शूटिंग का क्या होगा?'

'मैं सेठजी को समझा दूँगा', हुमायूं ने सांत्वना देते हुए उत्तर दिया और बाहर चला गया।

बेला वहीं खड़ी-खड़ी देर तक उसे देखती रही।

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