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परसाई के राजनीतिक व्यंग्य

हरिशंकर परसाई

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :296
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9709

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राजनीतिक विषयों पर केंद्रित निबंध कभी-कभी तत्कालीन घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए अपने पाठ की माँग करते हैं लेकिन यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो भी परसाई की मर्मभेदी दृष्टि उनका वॉल्तेयरीय चुटीलापन इन्हें पढ़ा ले जाने का खुद में ही पर्याप्त कारण है।


अमेरिका के कुछ राष्ट्रपति


बिल क्लिंटन नए राष्ट्रपति हुए। वे जनवरी में राष्ट्रपति भवन में स्थापित हो जाएँगे। उनकी रुचि और जरूरत तथा सुविधा के अनुसार व्हाइट हाऊस में परिवर्तन शुरू हो गए होंगे। कैसे परदे, कैसा वाल पेपर पसंद है। विशेषकर हिलेरी मैडम को। जिमी कार्टर के बाद रोनाल्ड रीगन को व्हाइट हाऊस में रहना था। श्रीमती रीगन रईस थीं और ऊँची रुचियों की थीं। उन्होंने सजावट फिर से कराई। कहती थीं कर्मचारियों से - कैसी गंवार औरतें रह जाती हैं यहाँ। कोई रुचि नहीं। मूंगफली की खेती करनेवाले किसान (कार्टर) की बीबी और कैसी होगी।

एक राष्ट्रपति का व्हाइट हाऊस में आना और पहिलेवाले को छोड़ना एक साथ होता है। मुहूर्त तय होता है। एक फाटक से नया राष्ट्रपति गाजे बाजे से प्रवेश करता है और उसी क्षण भूतपूर्व राष्ट्रपति दूसरे फाटक से चुपचाप निकल जाता है। वह वाशिंगटन में बिना रुके सीधा अपने राज्य चला जाता है। अपने देश में ऐसा होता तो ज्ञानी जैलसिंह दिल्ली में नहीं रहकर पंजाब में अपने गाँव में बाजरे की खेती करते होते।

क्लिंटन दूसरे महायुद्ध के बाद भी अमेरिकी शासकों की पीढ़ियों की दकियानूस, नीतियों और कार्याविधि से मुफ्त ताजापन लिए आ रहे हैं। नाइस गार्ड। अमेरिकी औरतें काफी पीते हुए कहती हैं - डीअर, ही इज आफ्टर माई हार्ट, हाऊ यंग ऐंड हैंडसम, ही इज ए किलर। बिल क्लिंटन ने अमेरिका से वियतनाम युद्ध का विरोध किया था। अमेरिकी फौज को वापस करने के आंदोलन में भाग लिया था। मगर इनके पहले की पीढ़ी के लुभावने खूबसूरत डेमोक्रेट राष्ट्रपति जान कैनेडी ने वियतनाम युद्ध को तेज किया था। वह रिपब्लिकन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन था, जिसने अमेरिकी फौज वापस बुलाई और युद्ध खत्म किया।

जार्ज बुश सोचते हैं - मैं महिमा मंडल लेकर रिटायर हो रहा हूँ। मैंने सोवियत संघ को तोड़ दिया और साम्यवाद को खत्म कर दिया। असल में सोवियत संघ में जो हुआ वह गोर्बाव्योव की अदूरदर्शी जल्दबाजी और रूसी व्यवस्था की आंतरिक कमजोरियों के कारण। एक बंद समाज में ये खराबियाँ हुई थीं। और इराक पर विजय ? माना कि सद्दाम हुसैन दुस्साहसिक और झगड़ालू है, पर वह बात करने, त्याग करने, कुवैत से हटने और शांति स्थापना को तैयार था। यह बात उसने राष्ट्रसंघ महासचिव पेरेज द कुइयार से कही थी जो टेप हो गई थी। पर बुश के दबाव से द कुइयार ने यह बातचीत छिपा ली और दो दिन में अमेरिका और यूरोप की फौजों ने बम बरसाना शुरू कर दिया। यह बातचीत, लंदन के गार्जियन पत्र में छप गई। जितने बम दूसरे महायुद्ध के 6 सालों में कुल गिराए गए थे उससे अधिक इराक पर गिराए गए। मगर अमेरिकी मतदाता ने बुश को मत नहीं दिए। उसकी आर्थिक हालात बुश के चार सालों में गिरी थी।

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