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पिया की गली

कृष्ण गोपाल आबिद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9711

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भारतीय समाज के परिवार के विभिन्न संस्कारों एवं जीवन में होने वाली घटनाओं का मार्मिक चित्रण


मेरे साथी !
धीर बंधा जा-
आस दिला जा-
मैं हूँ अकेली-
और यह जमाना।
तेरा सहारा-
कितना बड़ा था?
वह जो खोया
जी न सकूँगी।
कह देती हूँ-
रूठ चलूँगी।
दुनियाँ मुझको
लाख मनाये-
मैं न मनूंगी।

मेरे साथी !
सच कहती हूँ –
दूर कहीं
मैं चली चलूँगी।
तेरे सहारे –
टूट गये तो –
सारे रिश्ते –
तोड़ चलूँगी।
फिर एक तारा
बन जाऊंगी –
इस दुनियाँ से
कैसा रिश्ता?
किसके लिए मैं –
क्यों जियूँगी?

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