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श्रीबजरंग बाण

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :12
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9722

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शरतचन्द्र का आत्मकथात्मक उपन्यास


बदन कराल काल कुल घालक।
राम सहाय सदा प्रति पालक।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर।
अग्नि बेताल काल मारी मर।।

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की।
राखु नाथ मरजाद नाम की।।

जनकसुता हरि दास कहावौ।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।

जय जय जय धुनि होत अकाशा।
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।

चरण शरण कर जोरि मनावौं।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई।
पांय परौं कर जोरि मनाई।।

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