लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> श्रीबजरंग बाण

श्रीबजरंग बाण

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :12
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9722

Like this Hindi book 2 पाठकों को प्रिय

401 पाठक हैं

शरतचन्द्र का आत्मकथात्मक उपन्यास


आरती

आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपै।
रोग-दोष जाके निकट न झांपै।।

अंजनि पुत्र महा बलदाई।

संतन के प्रभु सदा सहाई।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाये।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई।

जात पवनसुत बार न लाई।।

लंका जारि असुर संहारे।
सियाराम जी के काज संवारे।।

लक्ष्मण मूर्च्छित परे सकारे।

लाय संजीवन प्रान उबारे।।

पैठि पताल तोरि जमकारे।
अहिरावन की भुजा उखारे।।

बाईं भुजा असुर संहारे।

दाईं भुजा संत जन तारे।।

सुर नर मुनि आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें।।

कंचन थार कपूर लौ छाई।

आरति करत अंजना माई।।

जो हनुमान जी की आरति गावे ।
बसि बैकुण्ठ परमपद पावे ।।

* * *

...Prev |

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book