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वापसी

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9730

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सदाबहार गुलशन नन्दा का रोमांटिक उपन्यास

''एक पाकिस्तानी अफ़सर से ताश की बाजी लगाई थी...जीत गया तो उससे रम की बोतल ले ली।'' कहते हुए गुरनाम ने बोतल का ढक्कन खोला और उसकी आंखों में एक चमक आ गई। वह मुस्कराते हुए बोला-''साथ देगा न यार!''

''नहीं गुरनाम।''

''क्यों? अरे एक-दो पैग पीने से कौन सा तेरा धर्म बिगड़ जाएगा?''

''वचन जो दिया है, अब कैसे तोड़ दूं?''

''कैसा वचन?''

''पूनम को कहा था कि जब तक लड़ाई से लौटकर उसको अपना न लूंगा, इसे हाथ नहीं लगाऊंगा।''

''तब तो मैं तेरे वचन को नहीं तोड़ूंगा...तू माशूक के हाथ से पियेगा।''

''अरे चिन्ता न कर, पूनम मिल जाए तो साथ ही पिया करेंगे।''

रशीद ने गुरनाम से बोतल लेकर अपने हाथ से उसके लिए गिलास में रम उड़ेल दी और बोतल एक ओर रख दी। गुरनाम ने गिलास ले लिया और बिना पानी मिलाए ही बड़े-बड़े घूंट कंठ में उतारने लगा।

थोड़ी देर बाद गुरनाम मूड में आकर बहकने लगा।

रशीद ने डबल पैग उसके गिलास में डाल दिया। वह उसको नशे में लाकर उससे फ़िल्म रील के बारे में जानना चाहता था। गुरनाम को झूमते हुए देखकर उसने पूछा-''यार! एक बात समझ में नहीं आई, मैं तो पकड़ा ही गया था, तू दुश्मनों के हाथ कैसे आ गया?''

''उसी फ़िल्म के चक्कर में।''

''कौन सी फ़िल्म यार...मुझे तो कुछ याद नहीं आ रहा...''

''तुझे तो इश्क के सिवाय कुछ याद नहीं रहा।''

''हां गुरनाम, कुछ याद नहीं...इंजेक्शन और दवाइयां देकर उन्होंने दिमाग खराब कर दिया है।''

''तूने ज़रूर जोश में आकर कौमी तराने गाये होंगे। अमां यार, दुश्मनों में फंस जाओ तो प्यार से उनका दिल जीतने की कोशिश करो, घृणा से नहीं।''

''तो बताओ यार हम दोनों कैसे फंसे थे?''

गुरनाम जो अब नशे में झूमने लगा था, रशीद का प्रश्न सुनकर तनकर बैठ गया और विस्तार से उस भयानक रात की घटना बयान करने लगा।

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