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वेताल पचीसी

वेताल भट्ट

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9733

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सदियों से प्रसिद्ध वेताल और राजा विक्रमादित्य की मनोहारी कथा

दीवान के बेटे ने उससे पूछा, “माई, तुम क्या करती हो? तुम्हारे घर में कौन-कौन है? तुम्हारी गुज़र कैसे होती है?”

बुढ़िया ने जवाब दिया, “बेटा, मेरा एक बेटा है जो राजा की चाकरी में है। मैं राजा की बेटी पद्मावती की धाय थी। बूढ़ी हो जाने से अब घर में रहती हूँ। राजा खाने-पीने को दे देता है। दिन में एक बार राजकुमारी को देखने महल में जाती हूँ।”

राजकुमार ने बुढ़िया को कुछ धन दिया और कहा, “माई, कल तुम वहाँ जाओ तो राजकुमारी से कह देना कि जेठ सुदी पंचमी को तुम्हें तालाब पर जो राजकुमार मिला था, वह आ गया है।”

अगले दिन जब बुढ़िया राजमहल गयी तो उसने राजकुमार का सन्देशा उसे दे दिया। सुनते ही राजकुमारी ने गुस्सा होकर हाथों में चन्दन लगाकर उसके गाल पर तमाचा मारा और कहा, "मेरे घर से निकल जा।"

बुढ़िया ने घर आकर सब हाल राजकुमार को कह सुनाया। राजकुमार हक्का-बक्का रह गया।

तब उसके मित्र ने कहा, “राजकुमार, आप घबरायें नहीं, उसकी बातों को समझें। उसने दसों उँगलियाँ सफ़ेद चन्दन में मारीं, इससे उसका मतलब यह है कि अभी दस रोज़ चाँदनी के हैं। उनके बीतने पर मैं अँधेरी रात में मिलूँगी।”

दस दिन के बाद बुढ़िया ने फिर राजकुमारी को ख़बर दी तो इस बार उसने केसर के रंग में तीन उँगलियाँ डुबोकर उसके मुँह पर मारीं और कहा, "भाग यहाँ से।"

बुढ़िया ने आकर सारी बात सुना दी। राजकुमार शोक से व्याकुल हो गया।

दीवान के लड़के ने समझाया, “इसमें हैरान होने की क्या बात है? उसने कहा है कि मुझे मासिक धर्म हो रहा है। तीन दिन और ठहरो।”

तीन दिन बीतने पर बुढ़िया फिर वहाँ पहुँची। इस बार राजकुमारी ने उसे फटकार कर पश्चिम की खिड़की से बाहर निकाल दिया। उसने आकर राजकुमार को बता दिया।

सुनकर दीवान का लड़का बोला, “मित्र, उसने आज रात को तुम्हें उस खिड़की की राह बुलाया है।”

मारे खुशी के राजकुमार उछल पड़ा। समय आने पर उसने बुढ़िया की पोशाक पहनी, इत्र लगाया, हथियार बाँधे। दो पहर रात बीतने पर वह महल में जा पहुँचा और खिड़की में से होकर अन्दर पहुँच गया। राजकुमारी वहाँ तैयार खड़ी थी। वह उसे भीतर ले गयी।

अन्दर के हाल देखकर राजकुमार की आँखें खुल गयीं। एक-से-एक बढ़कर चीजें थीं। रात-भर राजकुमार राजकुमारी के साथ रहा। जैसे ही दिन निकलने को आया कि राजकुमारी ने राजकुमार को छिपा दिया और रात होने पर फिर बाहर निकाल लिया। इस तरह कई दिन बीत गये। अचानक एक दिन राजकुमार को अपने मित्र की याद आयी। उसे चिन्ता हुई कि पता नहीं, उसका क्या हुआ होगा। उदास देखकर राजकुमारी ने कारण पूछा तो उसने बता दिया।

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