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बोध कथाएँ

विनोबा भावे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :23
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9735

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विनोबा भावे की 10 वोध कथायें

6

भगवान के बेटों को न सताओ

संत पाल की एक कहानी बड़ी मशहूर है। इस ईसाई संत ने ईसाई धर्म का खूब प्रचार किया था। वह पहले कोई महापंडित और ईसाइयत का घोर विरोधी था।

ईसा के शिष्य बिल्कुल सीधे-सादे और गरीब हुआ करते थे। कोई मछुआ था तो कोई बुनकर। मछुआ से ईसा ने कहा, "कम एंड फॉलो मी, एंड आई विल मेक यू फिशर्ज ऑफ मैंन।"(तुम मेरे पीछे आओ, मैं तुम्हे मछुआ नहीं, मनुष्य-मार बनाऊंगा।) वे अपना जाल छोड़कर ईसा के पीछे हो लिये।

ईसा के शिष्य एक के बाद एक मारे गये और सताये जाते थे। यह पाल ही, जो पहले 'साल' था, उन्हें बहुत सताता था। एक बार ईसा के अनुयायी कहीं जा रहे थे और पाल उनको सतानेवाला था।

उसे पहली ही रात नींद नहीं आई और सपने में भगवान आकर बोले, "सॉल! सॉल! व्हाई डू यू परसीक्यूट मी?" (सॉल-सॉल, तुम मुझे क्यों सताते हो?)

साल ने कहा, "तुझे तो मैं नहीं सता रहा हूं। तुझे कब सताया है?"

तब ईसा बोले, "तू मेरे लड़को को सताता है, तो मुझे ही सताता है।"

वह वाक्य उसने सुना और उसके दिल का परिवर्तन हो गया। वह साल से पाल होकर ईसा का ऐसा श्रेष्ठ शिष्य बना, जिसके दिल में भगवान आ विराजे।

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