लोगों की राय

नई पुस्तकें >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :435
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9810

Like this Hindi book 0

जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ

16. छोटा जादूगर

कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। हंसी और विनोद का कलनाद गूंज रहा था। मैं खड़ा था उस छोटे फुहारे के पास, जहां एक लड़का चुपचाप शराब पीने वालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुरते के ऊपर से एक मोटी-सी सूत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे। उसके मुंह पर गंभीर विषाद के साथ धैर्य की रेखा थी। मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ। उसके अभाव में भी सम्पन्नता थी।

मैंने पूछा, ”क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा?”

”मैंने सब देखा है। यहां चूड़ी फेंकते हैं। खिलौनों पर निशाना लगाते हैं। तीर से नम्बर छेदते हैं। मुझे तो खिलौनों पर निशाना लगाना अच्छा मालूम हुआ। जादूगर तो बिलकुल निकम्मा है। उससे अच्छा तो ताश का खेल मैं ही दिखा सकता हूं।” उसने बड़ी प्रगल्भता से कहा। उसकी वाणी में कहीं रूकावट न थी?

मैंने पूछा, ”और उस परदे में क्या है? वहां तुम गए थे?”

”नहीं, वहां मैं नहीं जा सका। टिकट लगता है।”

मैंने कहा, ”तो चल, मैं वहां पर तुमको लिवा चलूं।” मैंने मन-ही-मन कहा, ”भाई! आज के तुम्हीं मित्र रहे।”

उसने कहा, ”वहां जाकर क्या कीजिएगा? चलिए, निशाना लगाया जाए।”

मैंने उससे सहमत होकर कहा, ”तो फिर चलो, पहले शरबत पी लिया जाए।” उसने स्वीकार-सूचक सिर हिला दिया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book