लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824

Like this Hindi book 0

महात्मा गाँधी की आत्मकथा


एक सुझाव यह था कि वृक्षारोपण किया जाय। इसमे मुझे दम्भ दिखायी पड़ा। ऐसा जान पड़ा कि वृक्षारोपण केवल साहबो को खुश करने के लिए हो रहा हैं। मैंने लोगों को समझाने का प्रयत्न किया कि वृक्षारोपन के लिए कोई विवश नहीं करता, वह सुझावमात्र हैं। वृक्ष लगाने हो तो पूरे दिल से लगाने चाहिये, नहीं तो बिल्कुल न लगाने चाहिये। मुझे ऐसा याद पड़ता हैं कि मैं ऐसा कहता था, तो लोग मेरी बात को हँसी में उड़ा देते थे। अपने हिस्से का पेड़ मैंने अच्छी तरह लगाया और वह पल-पुसकर बढ़ा, इतना मुझे याद हैं।

'गॉड सेव दि किंग' गीत मैं अपने परिवार के बालको को सिखाता था। मुझे याद हैं कि मैंने उसे ट्रेनिंग परिवार के विद्यार्थियों को सिखाया था। लेकिन वह यही अवसर था अथवा सातवें एडवर्ड के राज्यारोहण का अवसर था, सो मुझे ठीक याद नहीं हैं। आगे चलकर मुझे यह गीत गाना खटका। जैसे-जैसे अहिंसा सम्बन्धी मेरे मन में ढृढ होते गये, वैसै वैसे मैं अपनी वाणी और विचारो पर अधिक निगरानी रखने लगा। उस गीत में दो पंक्तियाँ ये भी हैं :

उसके शत्रुओं का नाश कर, उनके षड्यंत्रो को विफल कर।

इन्हे गाना मुझे खटका। अपने मित्र डॉ. बूथ को मैंने अपनी यह कठिनाई बतायी। उन्होंने भी स्वीकार किया कि यह गाना अहिंसक मनुष्य को शोभा नहीं देता। शत्रु कहलाने वाले लोग दगा ही करेंगे, यह कैसे मान लिया जाय? यह कैसे कहा जा सकता है कि जिन्हे हमने शत्रु माना वे बुरे ही होगे? ईश्वर से तो न्याय ही माँगा जा सकता हैं। डॉ. बूथ ने इस दलील को माना। उन्होंने अपने समाज में गाने के लिए नये गीत की रचना की। डॉ. बूथ का विशेष परिचय हम आगे करेंगे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai