लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक वनस्पतियाँ

चमत्कारिक वनस्पतियाँ

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :183
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9829

Like this Hindi book 0

प्रकृति में पाये जाने वाले सैकड़ों वृक्षों में से कुछ वृक्षों को, उनकी दिव्यताओं को, इस पुस्तक में समेटने का प्रयास है

ककड़ी

 9829_26_Kakadi

विभिन्न भाषाओं में नाम -

संस्कृत - कर्कटी।
हिन्दी - ककड़ी।
बं.म.गु. - काँकडी
अरबी - किस्सा।
अंग्रेजी - स्नेक कुकुम्बर।
लैटिन - कूकूमिस ऊटीली स्सिमस (Cucumis utilissimus)
वनस्पतिक कुल - (Cucumbitaceae)

ककड़ी की जमीन पर फैलने वाली लता होती हैं, इसके बीज फागुन-चेत्र में बोयें जाते हैं और वैशाख-ज्येष्ठ में ये तैयार हो जाते हैं। इसलिए इसे जठुई ककड़ी कहते हें। इसकी बेल खीरे की बेल जैसी होती है। पत्ते भी खीरे के पत्ते के समान छोटे होते हैं। फल, गोल, थोड़ा लम्बा तथा कुछ मुड़ा हुआ होता है। फूल पीला होता है, ककड़ी जब छोटी होती है तो यह नरम रोंयेदार होती है। यह हल्के गाढ़े हरे रंग की होती हैं।

भारतवर्ष में अनेक प्रांतों में यह पायी जाती है। विशेषतः उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश, बंगाल तथा पंजाब में यह अधिकता से उत्पन्न होती है।

आयुर्वेदानुसार यह मूत्रल, पित्त एवं रक्त विकारों का शमन करने वाली, तृष्णाशामक, बलदायक एवं मन को शांत करने वाली उदर विकारनाशक वनस्पति है। औषधि हेतु इसके फल एवं बीज लिये जाते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book