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मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

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परिवर्तन


सुना है एक जमाने में कुत्ते की परछाई भी दिखाई दे जाती तो बिल्ली डरकर भाग जाया करती थी।

बचपन में वह सामने वाली कोठी में कुत्ते-बिल्ली को एक साथ खेलते देखता तो उसे बहुत आश्चर्य होता था।

आजकल तो कमाल ही हो रहा है। एक दिन जैसे ही कुत्ता बिल्ली पर झपटा तो वह डरकर भागी नहीं बल्कि तनकर गुर्राने लगी। हां कुत्ता ही सहम कर पीछे हट गया था। बहुत अच्छा लगा था उसे यह सब देखना।

 

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