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मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

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समय का पहिया


पत्नी के आग्रह पर जब बेटा माँ का कलेजा निकालकर चला तो राह में उसे ठोकर लगी और कलेजा हाथ से फिसलकर सड़क पर जा गिरा। कलेजे में प्रतिक्रिया हुई...

भूतकाल- ’बेटा, कहीं तुझे चोट तो नहीं आयी।’

वर्तमान काल- बेटे को गिरा देखकर कलेजा व्यंग्य से मुस्कराया।

भविष्य काल- खिलखिला कर हंसा और बोला- ’जैसी करनी वैसी भरनी...।’

 

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