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मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

80

अनसुना


कॉलेज जाने के लिए रिंकू जैसे ही बस में सवार हुआ तो देखकर आश्चर्य में डूब गया।

बस में अधिकांश महिलाएं यात्रा कर रही थीं। भ्रम हुआ कहीं ये ‘लेडिज स्पेशल’ तो नहीं, परन्तु उसने बहुत ध्यान से देखा था। सोचकर वह निश्चित हो गया।

बस में कई सीट खाली थी परन्तु उन पर बहुत धुंधला सा लिखा था ‘केवल महिलाएं।’

बहन जी तनिक बराबर वाली महिला सीट पर बैठ जाओ तो मुझे भी सीट मिल जाएगी’ रिंकू ने विनम्र निवेदन किया।

‘क्यों इस सीट पर तेरा नाम लिख रखा है। जा आगे को बैठ जा कई सीट खाली है।’ वह फिर चिल्लायी, ’ऐ कन्नो, छैल-छबीला है इसको अपने पास बैठा ले...।’

‘ना ना वहीं ठीक है। इस बदबूराम को अपने पास ही रख ले’ आगे से व्यंग्य और ठहाका उठा।

देर तक लड़कियां उसका उपहास करती रही और वह नजरे झुकाएं अनसुना करता रहा।

 

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