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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

17

'आओ मुल्ला, आओ, आज तो बहुत दिनों बाद इधर आना हुआ है।' अपने घर पर मुल्लाजी के आने पर उसके दोस्त छटंकीलाल ने स्वागत किया।

आवभगत के बाद दोस्त ने मुल्ला से कहा-'भाई मुल्लाजी, मौसम को देखते हुए दो गिलास बियर मँगाई जाए तो कैसा रहे?'

'ना भई छटंकी ना, मैं बियर न ले सकूँगा।' मुल्ला ने कहा।

'क्यों?' पूछा दोस्त ने।

'अव्वल तो मेरा मजहब इसे पीने की इजाजत ही नहीं देता, दूसरे मैंने इसे न पीने की कसम भी खा ली है और तीसरे मैं अभी एक दोस्त के घर से बीयर पीकर ही आ रहा हूँ।' मुल्लाने अस्वीकृति के कारण गिनाये।

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