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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

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'मुल्लाजी, आपको क्या यही लेखक पसन्द है, आप प्राय: इसी की लिखी हुई पुस्तकें पढ़ने को ले जाते हो?' पुस्तकालय अध्यक्ष ने पुस्तक देकर मुल्ला नसीरुद्दीन से पूछा।

'भाई साहब, पहले तो मैं और लेखकों की किताबें भी ले जाता था, मगर जबसे मुझे इस लेखक की किताब में एक सोने का सिक्का मिला है, तब से दूसरे लेखकों की पुस्तकें ले जाना छोड़ दिया है।'

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