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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

37

बहुत दिन तक बेकार रहने के बाद मुल्ला ने किसी हकीम से कुछ नुस्खे सीखकर हकीमत शुरू कर दी। यार-दोस्तों ने उसके इलाज की तारीफ करना शुरू किया तो एक दिन एक मरीज मुल्ला के पास पहुँचा और अपने रोग के बारे में उसे बताया।

मुल्ला ने उसे निरोग हो जाने का आश्वासन दिया। फिर भी मरीज जो अपने रोग से बेहद परेशान था, रुआँसा होकर मुल्ला से बोला-'हकीमजी, मैंने जिंदगी में कभी दवा-दारू नहीं ली है, बड़ा डर लगेगा, पहली बार दवा लेने में।'

'घबड़ाने की कोई जरूरत नहीं है प्यारे भाई! तुम मुझे देखकर हिम्मत बाँधो, मैंने भी जिन्दगी में किसी को दवा दी नहीं है! किसी को दवा देने का मेरा भी पहला मौका है, मैं ही नहीं घबरा रहा हूँ तो तुम्हें घबड़ाने की क्या जरूरत है।'

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