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मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामे

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9837

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हास्य विनोद तथा मनोरंजन से भरपूर मुल्ला नसीरुद्दीन के रोचक कारनामे

11. बीबी की समझदारी


एक दिन मुल्ला नसीरूद्दीन का अपनी बीवी से किसी बात पर झगड़ा हो गया। काफी देर तक तू-तू, मैं-मैं होती रही। अचानक मुल्ला नसीरूद्दीन का गुस्सा तेज हो गया। वह जोर-जोर से गरजने लगे। फिर अपनी जगह से उठे और बीवी की ओर लपके। बीवी बेचारी यह समझी कि मुल्ला मुझे मारने आ रहे हैं। इसलिए वह भयभीत होकर घर से निकल भागी और पास के मकान में जा घुसी। उस मकान में शादी का कोलाहल मचा हुआ था। बारात आ चुकी थी। खाना खिलाने का प्रबन्ध हो रहा था। ज्योंही मुल्ला की बीवी ने उस घर में प्रवेश किया, पीछे-पीछे मुल्ला भी पहुँच गये। वहाँ पहुँचकर भी उनका गुस्सा ठण्डा न हुआ। जोर-जोर से चीखते चिल्लाते रहे।

पड़ोसियों को बड़ी लज्जा आई। उन्होंने मुल्ला को चुप रहने के लिए कहा। पर जितना उन्हें समझाया गया, उनका पारा उतना ही चढ़ता गया।

अब अन्य मेहमानों ने भी मुल्ला को समझाना शुरू किया और उनसे खाना खाने की भी प्रार्थना की। खाने का नाम सुनकर मुल्ला का गुस्सा काफूर हो गया। वह झटपट हाथ धोकर खाने की मेज पर बैठ गये।

उधर उनकी बीवी भी औरतों में खाना खाने बैठ गयी। दोनों ने खूब पेट भर खाना खाया।

जब घर वापस आये, तब मुल्ला ने बीवी से कहा- 'बेगम! आज मैं तुमको मान गया। अब तो तुम अक्सर मेरा गुस्सा तेज कर दिया करो। जिन्दगी असल में इसी का नाम है।'

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