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मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामे

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9837

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हास्य विनोद तथा मनोरंजन से भरपूर मुल्ला नसीरुद्दीन के रोचक कारनामे

2. कुशल तैराक


यार-दोस्तों के जमघट में मुल्ला भी शामिल था। सब लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। एक दोस्त ने अपनी तैराकी की योग्यता की डींग मारते हुए कहा- 'आप लोग सुनकर शायद ताज्जुब करें, मगर यह बात है एकदम सच। मैं पिछले हफ्ते दो दिन और दो रात तक लगातार तैरता रहा।'

जो दोस्त बढ़-चढ़ कर दूर की हाँक रहे थे, इस बात को सुनते ही सब हक्के-बक्के रह गये। मगर मुल्ला को भला यह बात कब सहन होती? वह तपाक से बोला, 'मेरे दोस्त की यह बात एकदम सही है, मगर तैराकी का यह कोई रिकॉर्ड नहीं है।'

'क्यों आपकी नजर में कोई इससे बडा तैराक है?' दोस्तों ने पूछा।

'अब दूर की बात क्या बताऊँ। मेरे चाचा आज से छ: वर्ष पहले तैरकर नहाने के लिए नदी में उतरे थे और आज तक नहीं लौटे।' मुल्ला ने मुस्कुराते हुए कहा।

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