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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

ड्यूक : तुर्क पूर्ण सैन्य-सज्जा और तत्परता से साइप्रस की ओर बढ़ रहे है। ऑथेलो! तुम परिस्थिति के पूर्ण ज्ञाता हो। यद्यपि हमारे पास ऐसा व्यक्ति है जो इस कर्तव्य का पूर्णतया निर्वाह कर सकता है, किन्तु फिर भी जनमत जो कि बहुत बड़ा महत्त्व रखता है, तुम्हारी ही ओर अधिक बोल रहा है और तुम्हें ही अधिक विश्वसनीय और योग्य मानता है। इसलिए आवश्यक है कि अपने आनन्द की इस वेला में तुम अपने को नियन्त्रित करो और इस कठोर और घोर यात्रा के लिए तत्पर हो जाओ!

ऑथेलो : आदरणीय सिनेट के सदस्यगण सुनें! मैं युद्ध-जीवन का इतना अधिक आदी हो गया हूँ कि संग्राम-भूमि का कठोर और दारुण विस्तार मेरे लिए फूलों की शय्या के समान हो गया है। यह स्वीकार करना मेरे लिए सहज है कि मैं दुःख और कठोरता के पथ पर तुरन्त पाँव रख देता हूँ। इसलिए मैं तुर्कों से युद्ध करने को तत्पर हूँ, मैं इस तुमुल संग्राम का नेतृत्व करने को उद्यत हूँ, किन्तु चाहता हूँ कि मेरी पत्नी के लिए उचित प्रबन्ध कर दिया जाए, और उसकी स्थिति और पद के अनुकूल स्थान, धन तथा अन्य वस्तुओं का प्रबन्ध हो जाए!

ड्यूक : क्यों? वह अपने पिता के पास रह सकती है।

ब्रैबेन्शियो : नहीं, मैं उसे नहीं रखूँगा।

ऑथेलो : न मैं ही!

डैसडेमोना : न मैं ही वहाँ रहूँगी कि उनकी आँख के सामने बनी रहकर काँटे-सी गड़ा करूँ। परम दयालु ड्यूक! मेरी दयनीय प्रार्थना पर ध्यान दीजिए! मैं तो सीधी-सादी और अचतुर हूँ। आपकी वाणी मेरी सहायता करने का आश्वासन दे!

ड्यूक : क्या चाहती हो तुम, डैसडेमोना?

डैसडेमोना : मूर के साथ जीवन व्यतीत करने के लिए ही तो मैंने उनसे प्रेम किया है। जो विद्रोह मैंने किया है और जिस प्रकार मैंने आपत्तियों का सामना किया है, मैं संसार में घोषणा कर सकती हूँ कि उन पर पूर्णतया आसक्त हूँ और उनकी वीरता तथा ओज गुण ने ही मुझे इतना प्रभावित किया है। वे युद्ध में चले जाएँ और मैं घर पर छूट जाऊँ, तो जिसलिए मैंने उनसे प्रेम किया, वह मूल कारण ही झुठा दिया जाएगा। उनकी अनुपस्थिति मुझे अत्यन्त उदास और विरक्त बना देगी। कृपया मुझे उनके साथ जाने की आज्ञा दें!

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