ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
|
0 |
Othello का हिन्दी रूपान्तर
ऑथेलो : स्वामी! डैसडेमोना की प्रार्थना को निष्फल न करें! ईश्वर साक्षी है कि मैं यह दया इसलिए नहीं चाहता कि वासना मेरे मुख में बोल रही है। यौवन के वे प्रारम्भिक उन्माद अब मेरे लिए आकर्षक नहीं रहे हैं क्योंकि मैं उफान की सीमा से आगे आ गया हूँ। केवल मेरी पत्नी को इसका आनन्द प्राप्त होगा, इसलिए मैं आपसे करुणा और दया की भिक्षा चाहता हूँ। ईश्वर न करे, आप निश्चिंत ही रहें, उसके साथ होने के कारण आप मुझे राज्य-कार्य के प्रति उदासीनता दिखाते हुए नहीं पाएँगे। यदि कभी चंचल कामदेव की चपलता मेरी दृष्टि से कर्तव्यपथ को धुँधला भी कर दे, और मैं लोल वासनाओं के आवर्त में पड़ जाऊँ, और मेरी शुद्ध चेतना, मेरी बुद्धि मलिन पड़ जाए तो मेरा शिरस्त्राण कुलवधुओं के हाथ में रह जाए और लोक में विद्यमान समस्त विपदाएँ और अपमान मेरे यश पर आक्रमण करके मेरा सर्वनाश कर दें।
ड्यूक : तब तुम उसे ले जाओ या छोड़ जाओ, तुम्हारा व्यक्तिगत विषय ही रहे। कार्य बहुत गम्भीर है और तुरन्त कर्तव्य चाहता है, उसपर अपना सारा ध्यान केन्द्रित कर दो! कार्य पुकारता है, गति और वेग से उत्तर देना होगा।
सिनेट का सदस्य : आप आज रात ही को प्रयाण करें!
ऑथेलो : जैसी आज्ञा हो! अवश्य!
ड्यूक : हम कल प्रातःकाल नौ बजे फिर मिलेंगे। ऑथेलो, अपना कोई आदमी हमारे पास छोड़ जाओ, वह हमारी लिखित आज्ञा तथा तुम्हारे सम्मानित पद के अनुरूप अन्य आवश्यक वस्तुएँ ले जाएगा।
ऑथेलो : जैसी आज्ञा महाराज! मेरा ऐन्शेन्ट बड़ा ईमानदार आदमी है, और बड़ा ठोस भी है। मैं अपनी पत्नी को उसके संरक्षण में छोडूँगा। मेरे जाने के बाद जो भी आवश्यक वस्तुएँ आप भेजना चाहें उन्हें साथ लेकर वह मेरी पत्नी को साइप्रस पहुँचा देगा।
ड्यूक : यही सही! गुडनाइट! सबको गुडनाइट (ब्रैबेन्शियो से) और आदरणीय श्रीमान! यदि अच्छाई एक ऐसी वस्तु है जिसमें लोक का समस्त सौन्दर्य निहित होता है, तब आपका दामाद भी सुन्दर है। उसका कालापन अखरता नहीं, क्योंकि यह सबको प्रसन्न करता है।
सिनेट का सदस्य : विदा! वीर मूर! डैसडेमोना को कोई कष्ट न देना।
ब्रैबेन्शियो : मूर! यदि तुम्हारे आँखें हैं तो उसे अवश्य देखना, उसने अपने पिता को धोखा दिया है, कौन जाने वह तुम्हें धोखा न देगी?
(ड्यूक, सिनेट का सदस्य, अफसर इत्यादि का प्रस्थान)
|