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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

दृश्य - 1

(साइप्रस का एक समुद्र-तट)

(साइप्रस के गवर्नर मोनटानो तथा दो नागरिकों का प्रदेश)

मोनटानो : क्या अन्तरीप से समुद्र के बारे में कुछ पता चल रहा है?

एक नागरिक : कुछ नहीं। केवल एक भयानक बाढ़ ही आकाश और पृथुल तरंगों के बीच में दीखती है, कोई पाल नहीं झलकता।

मोनटानो : मुझे लगता है, धरती पर यह तूफान और भी तेज़ होगा। अपने युद्ध-परिवेशों पर मैंने ऐसा भीषण प्रभंजन टूटते कभी नहीं देखा। यदि समुद्र पर भी ऐसी ही अवस्था है तो कौन-सा काठ का जहाज़ होगा जो आँधी का ऐसा वेग झेल सकेगा और यह हवा की चपेट चट्टानों को पिघलाने की शक्ति लिए चिंघाड़ती फिरती है! पता नहीं इस सबका परिणाम क्या होगा।

दूसरा नागरिक : होगा क्या? तुर्की जहाजी बेड़ा नष्ट हो जाएगा, बिखर जाएगा। फेनों से ढंके हुए तीर पर खड़े होने पर लगता है कि आकाश की ओर थपेड़े मारती अजगर-सी भीमाकार तरंगें भीषण वायु के चपेटे खाकर ऐसी घुमड़ती हुई बढ़ती दिखाई देती हैं, जैसे वे ध्रुव तारे के रक्षक ज्योति-प्रहरी सप्तर्षियों को ही निगल जाएँगी। मैंने तो समुद्र पर ऐसे तूफान को कभी गरजते नहीं देखा।

मोनटानो : यदि तुर्की जहाज़ी बेड़े ने किसी खाड़ी में घुसकर अपनी रक्षा नहीं कर ली है, तो निश्चय ही वह डूब गया होगा। ऐसे तूफान में वह बच जाए, यह तो असम्भव लगता है।

(तीसरे नागरिक का प्रवेश)

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