लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक)

ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117

Like this Hindi book 0

Othello का हिन्दी रूपान्तर

तीसरा नागरिक : सुनो भाइयो! मैं खबर सुनाता हूँ। युद्ध समाप्त हो गया। इस भयानक तूफान ने तुर्कों को ऐसा उखाड़ फेंका है कि उनकी साइप्रस पर हमले करने की सारी योजना ही छिन्न-भिन्न हो गई है। अभी-अभी वेनिस का एक बड़ा जहाज़ आया है और उसके लोगों ने स्वयं तुर्की जहाज़ी बेड़े के एक बहुत बड़े भाग को तूफान में नष्ट-भ्रष्ट होते देखा है।

मोनटानो : क्या यह सच है?

तीसरा नागरिक : वह जहाज़ वेरोना से बन्दरगाह में आ गया है। ऑथेलो के लेफ्टिनेण्ट माइकिल कैसियो किनारे पर आ गए हैं। मूर अभी समुद्र पर हैं और उन्हें अब साइप्रस के गवर्नर का स्थान दिया गया है।

मोनटानो : बड़ी प्रसन्नता की बात है। वे इस आदर और सम्मान के योग्य हैं।

तीसरा नागरिक : किन्तु तुर्की जहाज़ी बेड़े के विनाश का संवाद लाने वाले कैसियो अभी तक मूर के विषय में चिंतित दिखाई दे रहे हैं और ईश्वर से उनकी सुरक्षा की प्रार्थना कर रहे हैं। तूफान ने ही उन दोनों को अलग कर दिया था।

मोनटानो : परमात्मा उनकी रक्षा करे! मैं स्वयं उनके अधीन काम कर चुका हूँ। वे तो पूर्ण योद्धा हैं। संग्राम-भूमि में उन्हें देखना चाहिए। चलो, हम समुद्र-तीर पर चलकर उस जहाज़ को देखें जो बन्दरगाह में आया है और ऑथेलो के आने तक आकाश और लहरों के बीच में तब तक अपनी आँखें गड़ाए खड़े रहें जब तक लहरों पर उनके जहाज़ का पाल फरफराता न दिखाई दे जाए।

तीसरा नागरिक : चलिए! वहीं चलें! अभी तो हर क्षण नए जहाज़ों के आने की आशा है।

(कैसियो का प्रवेश)

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book