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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

रोडरिगो : इस शिकार की दौड़ में मेरा तो वही हाल है जो शिकार करनेवाले का नहीं बल्कि शोर मचानेवाले, भौंकनेवाले कुत्ते का होता है। मेरा तो धन करीब-करीब समाप्त हो गया। आज रात तो मेरी बेहद पिटाई हुई है। मैं समझता हूँ, अन्त में मुझे ज़रा ज़्यादा अनुभव आ रहा है। पैसा हाथ नहीं, अक़्ल ज़रा ज़ोर देकर कहती है कि मेरा वेनिस लौट जाना ही अच्छा है।

इआगा : वे कितने दीन होते हैं जिनमें धैर्य नहीं होता! हर ज़ख्म पूरने के लिए वक़्त लेता है। तुम जानते हो, हम मामूली अक़्ल से ही काम लेते हैं, कोई जादू तो जानते नहीं। और बुद्धि तो देखो, क्रमश: अपना विकास प्राप्त करती है। क्या सारी योजना सन्तोषजनक रूप से नहीं चल रही? इसमें कोई शक नहीं कि कैसियो ने तुम्हें मारा है, लेकिन हमने भी ज़रा-सी तकलीफ सहकर कैसियो को नौकरी से निकलवा दिया है। माना कि हर वस्तु सूर्य के आलोक में ही पनपती-बढ़ती है, लेकिन देखो न, जो फल पहले लगते हैं, वे ही पहले पकते भी है। तनिक सन्तोष से काम लो। भगवान कसम! सुबह हो गई। आनन्द और कार्य में रत मनुष्य को समय बीतता हुआ पता भी नहीं चलता। अब तुम जाओ, जहाँ तुम्हें जाना है। बाकी तुम्हें फिर पता चल जाएगा। जाओ, अब जल्दी से चले जाओ।

(रोडरिगो का प्रस्थान)

अब मुझे दो काम करने हैं। एक तो मुझे अपनी स्त्री को कैसियो की ओर से बोलने को डैसडेमोना के पास भेजना है। दूसरे मुझे तब तक ऑथेलो को दूर रखकर, ठीक तभी बीच में लाना चाहिए जब उसे डैसडेमोना से प्रार्थना करता हुआ कैसियो दिखाई दे। यही रास्ता ठीक है। योजना को विलम्ब और अकर्मण्यता से विनष्ट नहीं करना चाहिए। 

(प्रस्थान)

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