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देवकांता संतति भाग 5

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2056

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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

हुचांग समझ गया कि तिलिस्म बनाने वाले ने ये हीरे इसलिए लगाए हैं, ताकि आने वाला उधर ही बढ़े।

वह भी उसी तरफ बढ़ने के लिए मजबूर था। अंधेरे में दूर से उसे केवल वे हीरे ही चमक रहे थे। उसके और चमक के बीच में अंधकार का बहुत-सा भाग था। यह अंधेरा भाग हुचांग ने अंधे की तरह तय किया।

अब वह चमकते हीरों के बेहद पास पहुंच गया था।

उसने देखा. ये हीरे एक ही दीवार में जड़े हुए थे और वे एक खास आकृति में थे। हीरों द्वारा दीवार में कुछ अक्षर बन रहे थे। सबसे ऊपर हीरों का एक त्रिभुज बना हुआ था! त्रिभुज के बीच में हीरों की ही मदद से बारह का अंक लिखा था और त्रिभुज के तीनों कोनों पर क्रमश: 'ब 'ओ' 'ना' लिखा था, त्रिभुज के नीचे हीरों द्वारा हिन्दी के बहुत-से अक्षर बने हुए थे। हुचांग ने ध्यान से उन चमचमाते हीरों को देखा।

अपने पाठकों की सुविधा के लिए हम वह आकृति जो इस वक्त हुचांग के सामने है, नीचे बनाए देते हैं।

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जी हां...अंधकार में जगमगाने वाले वे हीरे उपरोक्त ढंग से ही दीवार में जड़े हुए थे। हुचांग ने उन्हें बहुत ध्यान से देखा और बहुत देर तक देखता रहा। हुचांग समझ गया कि ये हीरे यहां बेसबब नहीं लगे हुए हैं। इनमें कोई बहुत ही गहरा मतलब छुपा हुआ है।

सम्भव है कि यह इस जगह से निकलने के लिए एक संदेश हो।

अत: उस संदेश को समझना बहुत जरूरी है।

यह बात दिमाग में आते ही हुचांग और भी ज्यादा ध्यान से उन हीरों को देखने लगा और बार-बार उन अक्षरों को अपने होंठों से बुदबुदाकर उनसे कोई मतलब निकालने की कोशिश करता रहा।

हुचांग अपनी इस कोशिश में कामयाब हुआ या नहीं, यह भेद आप तभी जान पाएंगे ..जब हम वह जान लें कि आप भी अपनी कोशिश में कामयाब होते हैं या नहीं।

अब आप भी हुचांग की तरह अपने दिमाग का भुस निकालिए और इन्हें समझने की कोशिश कीजिए। वे समझिए कि आप खुद हुचांग जैसी हालत में फंसते हैं और आपको उपरोक्त शक्ल में हीरे मिलते हैं तो किस तरह इस अंधकारमय भाग से वाहर हो पाएंगे?

उधर... उस शिला को पढ़कर ही आप गैलरी के बीच में पड़े पत्थर को ला सकते हैं।

अब सवाल वही है कि अगर आपका कोई दोस्त बागारोफ की तरह कोठरी में फंसता है और आप उसे छुड़ाना चाहते हैं, उसके लिए जरूरी है कि आप गैलरी के बीच में पड़े उस पत्थर को लाएं। मगर उसके लिए जरूरी है कि आप शिला पर लिखी इबारत को समझें...क्या आप समझ गए?

 

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