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उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘इस्कन्दर मिर्ज़ा और अय्यूब खां परस्पर मित्र थे और इस्कन्दर मिर्जा के राजनीतिक क्षेत्र में आने में अय्यूब खां साधन बन गया। उसकी बोगड़ा से बहुत गहरी छन रही थी।
‘‘पूर्वी पाकिस्तान के नेताओं ने सिन्ध और उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त के नेताओं से मिलकर गवर्नर जनरल और प्राईम मिनिस्टर बोगड़ा के विपरीत बगावत खड़ी कर दी। इस पर गवर्नर जनरल ने पार्लियामेंट निलम्बित कर गवर्नर जनरल का शासन कर दिया। इसके विपरीत पहले सिन्ध हाई कोर्ट में और पीछे सुप्रीम कोर्ट में अर्जी की गई। सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर जनरल की आज्ञा का समर्थन कर दिया।
‘‘अब गवर्नर जनरल ने पश्चिमी पाकिस्तान के सब सूबों का एक सूबा बनाकर वहां शासन को सुदृढ़ करने के लिए नई नियुक्तियां करनी आरम्भ कर दीं। इस प्रकार पश्चिमी पाकिस्तान बोगड़ा के हाथ में था और पूर्वी पाकिस्तान इस्कन्दर मिर्जा के।’’
‘‘यह इस्कन्दर मिर्जा कैसे एकाएक प्रकाश में आ गया?’’ तेजकृष्ण ने पूछा।
‘‘यह आरम्भ से ही अंग्रेजों का पिट्ठू रहा है। अय्यूब साहब से भी इसकी मित्रता का आधार यही था। अंग्रेज़ी काल में यह पेशावर का डिप्टी कमिश्नर था और इसने अंग्रेजों के कहने में आकर खान भाइयों को ऐसा चकमा दिया था कि एक ओर उनका कांग्रेस से वैमनस्य हो गया और दूसरी ओर दोनों भाइयों की राजनीतिक प्रभुता को निस्तेज कर दिया।’’
‘‘यह कैसे किया इसने?’’
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