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उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘जब उत्तर पश्चिमी सूबे में सन् १९४६-४७ में ‘प्लैबेसाइट’ (जनमत-संग्रह) हो रही थी तब पेशावर के डिप्टी कमिश्नर इस्कन्दर मिर्जा ने अपने आपको डाक्टर खान का विश्वस्त बना उसको गांधी जी के विपरीत कर दिया। डाक्टर खान समझा कि वह इस प्रकार मुस्लिम लीग को पराजित कर सकेगा। हुआ यह कि सरहदी सूबा में कांग्रेस चारो खाने चित्त रही और मुस्लिम लीग की जीत हो गई।
‘‘सन् १९५६ में इसने वही डबल गेम’ (दोहरी खेल) खेली। इसने सुहरावर्दी और फजलूल हक इत्यादि पूर्वी पाकिस्तानी नेताओं को अपने साथ मिला लिया। उन्हें यह आश्वासन दिया कि वह पूर्वी पाकिस्तान को एक स्व-शासित प्रान्त बनवा देगा। वे चकमें में आ गये। वे पहले अंग्रेज़ी गुट में थे। इस्कन्दर के कहने पर अमरीकी गुट में हो गए। दूसरी ओर इसने पश्चिमी पाकिस्तानियों में डॉक्टर खान को कह दिया कि उसे पश्चिमी पाकिस्तान का प्राइम मिनिस्टर बनवा देगा। पश्चिमी पाकिस्तान एक इकाई बन चुका था। मुस्लिम लींग ने डॉक्टर खान का साथ नहीं दिया तो इस्कन्दर मिर्जा ने सुहरावर्दी को पश्चमी पाकिस्तान का गवर्नर नियुक्त करवा दिया। सुहरावर्दी अमेरिका गुट की ओर हो गया था और गवर्नर बन उसे पता चला कि वह सेना की दया पर है और सेना इंगलैण्ड के पक्ष में है। इस पर सुहरावर्दी ने इंगलैण्ड और अमेरिका दोनों को छोड़ चीन के साथ पाकिस्तान की मित्रता करा दी।
‘‘इसी समय अय्यूब खां और सुहरावर्दी में मित्रता पैदा हो गई। इसका रहस्य यह है कि चीन के साथ समझौता होने पर मुस्लिम लीग सुहरावर्दी के विरुद्ध हो गई और क्योंकि इस्कन्दर मिर्जा सुहरावर्दी का समर्थन कर रहा था, मुस्लिम लीग इस्कन्दर मिर्जा के भी खिलाफ हो गई। इस्कन्दर मिर्जा अय्यूब और सुहरावर्दी की सहायता से पूर्वी पाकिस्तान का गवर्नर फजलुल हक को बनवा कर स्वयं पश्चिमी पाकिस्तान में आ गया और वहां सेना की सहायता से गवर्नर जनरल बन गया। पश्चिमी पाकिस्तान का गवर्नर उस समय इस्कन्दर था और इसने मुस्लिम लीग को सुहरावर्दी के खिलाफ कर पश्चिमी पाकिस्तान की असेम्बली में सिर-फुटव्वल करवा दी। मुस्लिम लीग और रिपब्लिकन पार्टी में प्रतिस्पर्धा होने लगी तो डाक्टर खान की हत्या हो गई।
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