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उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


अय्यूब चिढ़ा हुआ था, रात नज़ीर के व्यवहार से, लाहौर हाई कोर्ट के फैसले से और अब अजीज़ के समाचार से कि दिल्ली हाई कमिश्नर को किसी समझदार असिस्टेंट की आवश्यकता है। इस कारण उसने कह दिया, ‘‘तो तुम ही क्यों नहीं चले जाते?’’

‘‘हुक्म हो तो जा सकता हूं।’’

‘‘आज ही चले जाओ।’’

‘‘तो अब मैं जाऊं?’

‘‘कहां?’’

‘‘आपने हुक्म किया है कि दिल्ली चला जाऊं।’’

‘‘अच्छा! कुछ दिन वहां जाकर देखो कि वहां क्या खराबी है?’’

अजीज उठ खड़ा हुआ। इस समय नज़ीर ने कहा, ‘‘अंकल! मैं भी आपके साथ चल रही हूं।’’

‘‘कहां?’’

‘‘दिल्ली और फिर वहां से लन्दन।’’

अज़ीज गवर्नर जनरल का मुख देखने लगा। इस पर उसने कहा, ‘‘यह हमारे कहने पर आयी नहीं थी और हमारे कहने पर जा नहीं रही।’’

‘‘पापा!’’ नज़ीर ने कह दिया, ‘‘अंकल को ब्रेकफास्ट का निमन्त्रण दे दो।’’

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