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उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘साथ ही यह बता रहे थे कि चीन यह चाहता है कि जैसे ही भारत पर चीनी आक्रमण किया जाये, उसी समय पाक-सेना भारत में घुस कर जितना अधिक से अधिक क्षेत्र पंजाब में हो सके, अपने अधीन कर ले।’’

‘‘इस पर भारत में पाकिस्तानी कमिश्नर ने मेरी कल की सूचना इस्लामाबाद में वायरलैस पर दे दी है। इस सूचना का समर्थन दूसरे स्थानों से किया जा रहा है। अज़ीज़ साहब यह बता रहे थे कि पाकिस्तान को चीन के पूर्वी पाकिस्तान में इरादे पर बहुत विस्मय हुआ है।’’

‘‘पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान जैसा हरा-भरा उपजाऊ क्षेत्र किसी भी मूल्य पर छोड़ना नहीं चाहेगा।’’

‘‘मैंने उनसे कहा है कि चीन उसके बदले में पूर्वी पंजाब पाकिस्तान को दिलाने की योजना रखता है।’’

‘‘अजीज साहब ने कहा, ‘पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान को छोड़ना नहीं चाहता। उसे अपने पास रखने से वह यह समझता है मानो भारत को दोनों ओर से चिमटे से पकड़ने की भांति पकड़े हुए है।’’

नज़ीर हंस पड़ी। उसने कहा, ‘‘देखिये जी! मैं अपनी जानकारी बताती हूं। पाकिस्तान की शहरी जनता में सरकार के विरुद्ध विचार बनते जाते हैं और इस समय सेना उनका मुख बन्द किये हुए है। यदि युद्ध में सेना गयी तो शहरों में सरकार के खिलाफ बलवे उठ खड़े होंगे।’’

तेजकृष्ण ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि जब काफिरों के खिलाफ जहाद का नारा लगाया जाएगा तो विद्रोह शान्त हो जायेगा और सब मुसलमान भारत के विरुद्ध अपनी सरकार की सहायता करने लगेंगे।’’

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