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उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘नहीं! मैं जन्म से हिन्दू और हिन्दुस्तानी हूं, परन्तु मैं अंग्रेज नागरिक हूं और मेरी सेवायें पाकिस्तान के दिल्ली स्थित हाई कमिश्नर को दी गयी हैं और उसने मुझे तिब्बत की ‘टोपोग्राफी’ (भूमि का ज्ञान) प्राप्त करने के लिए भेजा है?’’
‘‘किस मतलब से?’’
‘‘यह मैं नहीं जानता! यह मुझे बताया नहीं गया।’’
‘‘और तुमने यहां क्या देखा है?’’
‘अभी तो एक-दो मील भूमि ही देखी है। इससे यहां का ज्ञान कुछ अधिक नहीं हुआ।’’
‘‘अपने इस गाइड को तुम कहां से पा गए हो?’’
‘‘शिलांग में! पाकिस्तान हाई कमिश्नर ने ही इसका पता बताया था। एक मिस्टर टॉम पीटर हैं। उनके द्वारा मुझे यह मिला है।’’
‘‘जानते हो यह कौन सा स्थान है?’’
‘‘यह एक सैनिक शिविर मालूम होता है, परन्तु यह लगभग खाली है।’’
‘‘देखो, तुम यहां से तब तक नहीं जा सकते, जब तक हम अपने अफसरों से तुम्हारे विषय में पता न कर लें।’’
तेज चुप रहा। इसका अभिप्राय था कि वह गुप्तचरों के द्वारा पकड़ लिया गया है।
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