लोगों की राय

उपन्यास >> नास्तिक

नास्तिक

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :433
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7596

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

391 पाठक हैं

खुद को आस्तिक समझने वाले कितने नास्तिक हैं यह इस उपन्यास में बड़े ही रोचक ढंग से दर्शाया गया है...


‘‘कल लड़के को देख लीजिए। पीछे बात करेंगे।’’

परन्तु रात यासीन और उसकी पत्नी प्रज्ञा में बात हुए बिना नहीं रही। बात प्रज्ञा ने ही की। उसने कहा, ‘‘दादा ने जो गुड़िया मुझे दी है, उसकी सूरत-शक्ल तो नगीना से बहुत कुछ मिलती है। अगर वैसी ही उसे पोशाक पहना दी जाए तो वह एक बड़ी सवा पाँच फुट की गुड़िया ही दिखाई देगी।’’

इस पर यासीन ने कह दिया, ‘‘मैंने इस बाबत अब्बाजान की राय जानी है। वह इस शादी के हक में नहीं हैं।’’

‘‘मगर मेरी शादी के वक्त तो आपने अब्बाजान से राय नहीं की थी?’’

‘‘तो यह नगीना भी कर सकती है। मगर वह अभी नाबालिग है।’’

‘‘मैंने उसकी अम्मी से बात की है। वह कहती है कि वह लड़की आपके लिए मुकर्रर है।’’

‘‘क्या मतलब?’’

‘‘आपकी बीवी बनने के लिए।’’

‘‘यह कैसे हो सकता है?’’ यासीन ने चिन्ता व्यक्त करते हुए पूछ लिया।

‘‘मैंने यही बात अम्मी से कही थी। मैंने कहा था कि आप तो उसके भाई हैं। इस पर वह कहने लगीं कि हम मुसलमानों में यह होता है और यह लड़की आपके वालिद शरीफ से भी नहीं है।’’

इस पर यासीन चिन्ता में पत्नी का मुख देखता रह गया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book