लोगों की राय
उपन्यास >>
नास्तिक
नास्तिक
प्रकाशक :
सरल प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :433
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 7596
|
|
5 पाठकों को प्रिय
391 पाठक हैं
|
खुद को आस्तिक समझने वाले कितने नास्तिक हैं यह इस उपन्यास में बड़े ही रोचक ढंग से दर्शाया गया है...
10
मुहम्मद यासीन को मन्त्र स्मरण कर उसके अर्थों को मन में बैठा जप करते हुए कई दिन व्यतीत हो गए थे कि प्रज्ञा ने पूछा, ‘‘मन्त्र और मायने स्मरण हो गए हैं?’’
‘‘हाँ!’’
‘‘देखिए! मैं अपनी पूजा का रहस्य बताती हूँ। मैं समझती हूँ कि परमात्मा की तारीफ करने से कुछ नहीं मिलता। वह खुशामद-पसन्द नहीं है। उससे माँगने से भी कुछ नहीं मिलता। वह किसी के साथ रियायत नहीं करता। इसलिए मेरी प्रार्थना न तो खुशामद है, न कुछ माँगने की बात है।’’
‘‘तो यह क्या है?’’
‘‘यह परमात्मा के गुण, कर्म और स्वभाव का चिन्तन है। आप इन लफ्ज़ों के मायनों पर गौर करेंगे तो आपको पता चलेगा कि परमात्मा ने इस दुनिया को और उस पर मखलूक को पैदा किया था, कर रहा है और करेगा। हम में जो ताकत है, उसका देने वाला वह है। वह बहुत बड़ा है। इतना कि हम उसी लम्बाई-चौड़ाई को दिमाग में भी नहीं ला सकते। वह हमेशा से है और हमेशा रहेगा।’’
‘‘जब हम इस प्रकार परमात्मा की बनाई दुनिया को जान जाते हैं, तो हकीकत में हम उसकी तारीफ ही करते हैं।’’
‘‘इस तारीफ के लिए हमारी जबान में एक लफ्ज है स्तुति। इसका मतलब है किसी शै के गुण और उसके कर्म तथा स्वभाव का वर्णन करना। बहुत ही मुख्तसिर में इस मन्त्र में सब कह दिया गया है। इसका चिन्तन करने से ही पूजा हो जाती है।’’
‘‘इससे लाभ क्या होगा?’’
‘‘यह मैं अब हर रोज आपको बताया करूँगी। पहले इन इल्फाज के एक-एक के मायने खुलासे में बताऊँगी। फिर इसके लाभ बताऊँगी।’’
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai