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उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598

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बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।


सुदर्शन ने दोनों बहनों से नलिनी का परिचय कराया। उसको चाय-पानी के लिए पूछा और तदनन्तर इधर-उधर की बातचीत होती रही। निष्ठा ने नलिनी को एक दो बार इससे पूर्व भी, अपने भाई के साथ देखा था। उसको विदित था कि वह भैया के एक मित्र प्रोफेसर की बहन है और एक स्कूल में अध्यापिका है। इस कारण वह उससे घुल-मिलकर बातें करने लगी–वह किस स्कूल में पढ़ाती है, उसके भाई-भाभी आएँगे क्या, उसका अपना विवाह कब होगा, इत्यादि।

नलिनी ने भी निष्ठा से पूछ लिया, ‘‘तुम्हारी आयु अब क्या है?’’

निष्ठा ने उत्तर दिया, ‘‘अठारह वर्ष।’’

‘‘किस श्रेणी में पढ़ती हो?’’ नलिनी ने बात आगे चलाई।

‘‘बी० ए० फ़ाइनल में।’’

‘‘क्या विषय लिए हैं?’’

‘‘संस्कृत तथा इतिहास।’’

‘‘इनका क्या मिश्रण है?’’

‘‘तो किनका मिश्रण होता है?’’

‘‘प्रायः विद्यार्थी इतिहास के साथ अर्थशास्त्र लेते हैं।’’

‘‘मुझको वे मूर्ख लगते हैं। इन दो विषयों का तो दूर का भी सम्बन्ध नहीं।

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