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उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598

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बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।


‘‘यह बात सुदर्शन को विदित नहीं होगी, अन्यथा वह उससे मेलजोल न रखता।’’

‘‘तो तुम्हारा विचार है कि श्रीपति इस कारण नहीं आया।’’

एक अन्य प्रोफेसर इनकी बातें सुन रहा था। उसने बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘‘श्रीपति के यहाँ आने न आने का कारण यह नहीं हो सकता।’’

‘‘क्यो?’’

‘‘इस कारण कि उसकी बहन नलिनी तो इस विवाह में सम्मिलित होने के लिए आई हुई है।’’

‘‘सच?’’

‘‘हाँ!’’ उस प्रोफेसर ने कहा, ‘‘मैंने नलिनी को सुदर्शन की बहन निष्ठा के साथ कार में सवार हो समधियों के घर जाते देखा है। वे लड़की का शकुन आदि करने गए हैं।’’

‘नलिनी अपने स्कूल में सीधी सुदर्शनलाल के घर गुरुद्वार रोड आ गई थी। वह बारात के समय से दो घण्टा पूर्व ही पहुँच गई थी। सुदर्शन ने उसको देखा तो उसका धन्यवाद कर दिया और उसको लेकर अपनी बहनों के पास चला गया। सुदर्शन की बड़ी बहन उषा का विवाह हो चुका था। उसका पति बम्बई में व्यापार करता था। उषा अपने पति तथा अपने एक बच्चे के साथ विवाह में सम्मिलित होने के लिए आई हुई थी।

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