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उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573

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इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


फिर उसने जॉन से मदन का परिचय कराने के लिए लैसली की ओर देखा। लैसली को परिचय कराना ही पड़ा। उसने कहा, ‘‘ये मेरे पापा के एक भारतीय मित्र के दामाद मिस्टर मदनस्वरूप हैं। यहां इंजीनियरिंग कॉलेज में उच्च शिक्षा ग्रहणार्थ आए हैं और मेरे पापा के मकान में ही रहते हैं।’’

दोनों युवकों ने हाथ मिलाए। पाल ने मदन और लैसली को खाने का निमन्त्रण दे दिया। मदन हंस पड़ा। पाल ने उसकी ओर अर्थपूर्ण दृष्टि से देखा तो मदन ने कहा, ‘‘सानफ्रांसिस्को में मेरे किसी को खाना खिलाने का अभिप्रायः यह समझा गया था कि वह मेरे ऐहसान से दब गया है और उसको मेरे ऐहसान का बदला चुकाने के लिए मेरी शय्या का प्रयोग करना चाहिए।’’

पाल को बात स्मरण हो आई तो उसने अपने साथी को बताया कि मिस फ्रिट्ज इनको बूवी कहती थी, परन्तु वह इनको समझी नहीं। ये प्रोग्रेसिव नहीं हैं।’’

‘‘सत्य!’’ लॉगवुड ने साश्चर्य मदन के मुख पर देखते हुए कहा। मदन ने हंसते हुए कहा, ‘‘हां, मैं रूढ़िवादी युवक हूं। मिस साहनी भी यही समझती हैं।

‘‘परन्तु हम तो मिस साहनी को ही रूढ़िवादी समझते हैं।’’

मिस पाल के कथन पर सभी हंस पड़े। इस समय तक वे एक खालीमेज पर जा बैठे थे।

लौगवुड ने बैठते हुए कहा, ‘‘यही कारण है कि मिस साहनी और मिस्टर स्वरूप आज इकट्ठे क्लब में आ रहे हैं।’’ फिर उसने लैसली के विषय में मदन को बताते हुए कहा, ‘‘ये न तो शराबपीती हैं और न ही सिगरेट पीती हैं।’’

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