धर्म एवं दर्शन >> आदित्य हृदय स्तोत्र आदित्य हृदय स्तोत्रअगस्त्य ऋषि
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राम रावण युद्ध के समय अगस्त्य ऋषि द्वारा बतलाई गई सूर्य आराधना। शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्त के लिए की जाने वाली आराधना।
देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च।
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमप्रभुः।।24।।
vedashcha kratavashcaiva kratunam phalam eva cha |
yani krityani lokeshu sarva esha ravih prabhuh || 24
'(यज्ञ में भाग ग्रहण करने वाले) देवता, यज्ञ और यज्ञों के फल भी ये ही हैं। सम्पूर्ण लोकों में जितनी क्रियाएँ होती हैं, उन सबका फल देने में ये ही पूर्ण समर्थ हैं' ।।24।।
The Sun God (Ravi) is the origin and protector of the four Vedas (Rig, Yajur, Sama, and Atharva), the sacrifices mentioned in them and the fruits obtained by performing the sacrifices. He is the Lord of all action in this universe and decides the Universal path. 24
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च।
कीर्तयन् पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव।।25।।
ena-mapatsu krichchreshu kantareshu bhayeshu cha |
kirtayan purushah kashchinnavasidati raghava || 25
'राघव ! विपत्ति में, कष्ट में, दुर्गम मार्ग में तथा और किसी भय के अवसर पर जो कोई पुरुष इन सूर्यदेव का कीर्तन करता है, उसे दुःख नहीं भोगना पड़ता।' ।।25।।
Listen Oh Rama! Oh Ragava, scion of the Raghu dynasty, any person, singing the glories of Surya in great difficulties, during affliction, while lost in the wilderness, and when beset with fear, will not come to grief (or loose heart). 25
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