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धर्म एवं दर्शन >> आदित्य हृदय स्तोत्र

आदित्य हृदय स्तोत्र

अगस्त्य ऋषि

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :34
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9544

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राम रावण युद्ध के समय अगस्त्य ऋषि द्वारा बतलाई गई सूर्य आराधना। शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्त के लिए की जाने वाली आराधना।


पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगत्पतिम्।
एतत् त्रिगुणितं जप्तवा युद्धेषु विजयिष्यति।।26।।


pujayasvaina-mekagro devadevam jagatpatim |
etat trigunitam japtva yuddheshu vijayishyasi || 26

'इसलिए तुम एकाग्रचित होकर इन देवाधिदेव जगदीश्वर की पूजा करो। इस आदित्य हृदय का तीन बार जप करने से तुम युद्ध में विजय पाओगे।' ।।26।।

If you worship this lord of the universe, the God of all Gods, with concentrated mind and devotion by reciting this hymn (Aditya-Hridayam) thrice, you will emerge victorious in the battle. 26

अस्मिन् क्षणे महाबाहो  रावणं त्वं  जहिष्यसि।
एवमुक्त्वा ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम्।।27।।


asmin kshane mahabaho ravanam tvam vadhishyasi |
evamuktva tada'gastyo jagama cha yathagatam || 27

'महाबाहो ! तुम इसी क्षण रावण का वध कर सकोगे।' यह कहकर अगस्त्य जी जैसे आये थे, उसी प्रकार चले गये।। 27।।

O mighty armed one, you shall truimph over Ravana this very moment. After blessing Lord Rama thus, and predicting that He would slay (the demon) Ravana, sage Agastya took leave and returned to his original place. 27

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