लोगों की राय
ई-पुस्तकें >>
कटी पतंग
कटी पतंग
|
7 पाठकों को प्रिय
38 पाठक हैं
|
एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''बेचारा वह लड़का क्या सोचता होगा! तुम कैसी लड़की हो जिसने शादी के दिन भागकर उसकी जिन्दगी में एक उलझाव पैदा कर दिया!''
अंजना फिर मौन हो गई। उसे भी कुछ देर के लिए अजनबी से हमदर्दी-सी हो गई जो उससे बिछुड़कर न जाने कहां होगा!
''क्या नाम था उसका?'' पूनम ने उसे अधिक देर तक विचार-मग्न न रहने दिया।
अंजना उसके इस प्रश्न पर चौंक पड़ी। उसका बदन कांप उठा।
पूनम ने बातों में रस पैदा करने के लिए मुस्कराकर फिर छेड़ा- ''अरी! शरमाती क्यों है? नाम तो अपने पति का नहीं लिया जाता। उसका नाम लेने में क्या हर्ज है जो तुम्हारे हाथ से निकल गया?''
''कमल मोहन।'' वह जबान दांतों में दबाकर धीरे से बोली और अपना मुंह अपने हाथों में छिपा लिया।
पूनम ने उसके घावों को अधिक कुरेदना न चाहा। वह सिमटकर बैठ गई और फिर पत्रिका पड़ने में व्यस्त हो गई। गाड़ी की गड़गड़ाहट और इंजन की चीख से वातावरण में विकलता की लहरें दौड़ रही थीं।
सहसा एक धमाका हुआ। रात की कालिमा कंपित हो उठी। पूनम और अंजना को ऐसा लगा जैसे भूचाल आ गया हो। पूनम चीख उठी और झपटकर अपने बच्चे की ओर लपकी। उसे अपनी गोद में दुबका लिया। दोनों सहेलियां एक-दूसरे को थामने का निश्चय कर ही रही थीं कि उनके मुंह से एकसाथ चीखें निकल गईं। उसके बाद उन्हें मालूम नहीं क्या हुआ। उन्हें ऐसा लगा जैसे वे किसी गहरे अंधेरे में डूब गई हों।
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai