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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


पूनम बोली-''सच्चाई से कौन मुंह फेर सकता है! कितना सुनहरा अवसर है अंजू! तुम्हें एक सहारे की तलाश है और मुझे एक हमदर्द की जो अपना हो और मेरे बच्चे को अपना सके।''

''यह सब क्या कह रही हो तुम?''

''वह जो मुझे कहना चाहिए। मुझे वचन दो अंजू, कि तुम मेरे बच्चे को अपना लोगी। उसे मां का प्यार दोगी।''

''दिल छोटा न करो पूनम! मैं तुम्हारे साथ हूं। मैं तुम्हारी बहन हूं। हम-तुम दोनों उसे पालने-पोसने में ही अपना जीवन बिता देंगे।''

''सच?''

''हां पूनम!''

''जानती हो ना अंजू! मेरी ससुराल वालों ने अब तक मेरी सूरत नहीं देखी है।''

''जानती हूं।'' अंजना उसके दिल की तह तक पहुंच गई, फिर भी अनजान-सी बनकर बोली-''बेचारे न जाने तुम्हारे लिए कितना तड़प रहे होंगे!''

''तुम एक काम करो।''

''क्या?''

''वहां जाकर मेरी जगह ले लो।''

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