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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''पूनम!'' वह आगे कुछ बोल नहीं सकी। दिल थामकर रह गई। उसे लगा जैसे पूनम ने भरपूर शक्ति से उसके सिर पर हथौड़ा दे मारा हो। वह एकदम गुमसुम हो गई। बड़ी दुखदायी शांति छा गई।

अंत में पूनम ने शांति भंग की-''उसीमें तुम्हारी भलाई है अंजू! तुम्हें सहारा मिल जाएगा, मुझे मेरे बच्चे की मां मिल जाएगी।''

''पूनम।''

''हां अंजू। मेरी ससुराल वाले मुझे इस दशा में देखेंगे तो घृणा से मुंह मोड़ लेंगे। जवान बेटे की मौत के बाद अगर उन्हें मेरा यह सदमा पहुंचा तो न जाने क्या हो जाएगा।''

''नहीं पूनम! तुम ठीक हो जाओगी।''

''यह झूठी तसल्ली है। वादा करो अंजू कि तुम उन्हें इस बुढ़ापे में यह दूसरा सदमा नहीं पहुंचने दोगी। वचन दो कि राजीव को तुम अपना बेटा समभकर पालोगी। यह मेरी धरोहर है तुम्हारे पास! तुम मेरी जगह पूनम बन जाओगी।''

''पूनम।''

पूनम कमजोरी की इस हालत में यह सब कहते-कहते भावुकता में बह गई। उसका सांस गले में अटकने लगा! जबान लड़खड़ाने लगी और वह अचेत हो गई।

अंजना ने उसे दो-चार बार पुकारा, लेकिन उसे कोई उत्तर नहीं मिला। ज्योंही उसने पूनम के मुंह से झाग निकलते देखा, वह डर गई। पूनम की सांस रुक-रुककर चल रही थी। वह उसकी बदलती हुई स्थिति को भांप गई और चिल्लाकर डॉक्टर को बुलाने के लिए दौड़ी। पास खड़ी नर्स उसे घबराहट में देख मदद के लिए आ गई।

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