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खामोश नियति

रोहित वर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :41
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9583

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कविता संग्रह

तस्वीर

तस्वीर हवा के झोंकों से बार-बार

बन और बिगड़ रही थी,

हवा रुकी एक चेहरा बना

कुछ देखा अनदेखा था,

कई तस्वीरों से मिलाकर देखा,

तो याद आया इस चेहरे को देखा है,

जलती आग में ये चेहरा देखा था,

कितना गमगीन था,

मासूमियत का सागर था, उस चेहरे में,

महसूस हो रहा था,

आग उस चेहरे को

सुंदरता देने की कोशिश कर रही थी,

नया ढंग देने की कोशिश कर रही थी,

अचानक बारिश की बूँदों ने

उसकी इच्छाओं का दमन कर दिया,

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Rohit Kumar

Respected Sir/Madam, I am very much thankful for this book....