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ई-पुस्तकें >> खामोश नियति

खामोश नियति

रोहित वर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :41
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9583

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कविता संग्रह

शब्द

अक्षर की किताब से,

दो अक्षर लिए मैंने,

एक "खुदा" था,

एक "तुम" था,

दोनों की आवाज़ में देखो कितना गम था,

एक राह थी दोनों की,

तुमको पाना खुदा को था,

खुदा को जानना तुमको

वक्त की एक नज़र ऐसी भी थी,

शाम के साथ आँधी भी थी,

रोशनी के साथ सूरज भी कई थे,

हर वक्त एक नई रोशनी थी।

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Rohit Kumar

Respected Sir/Madam, I am very much thankful for this book....