ई-पुस्तकें >> खामोश नियति खामोश नियतिरोहित वर्मा
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कविता संग्रह
मुलाकात
ना पाकर सामने लगता है,
कि वक्त ने किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया,
जहाँ से एक, दो, और कई रस्ते जाते हैं,
लेकिन एक रास्ता वापस भी आता है.........
समझकर लिखूंगा तो,
भूल जाऊंगा,
मिलकर लिखूंगा तो कल फिर आऊंगा,
कहानी ख़त्म होगी उस दिन,
जब खुद से मुलाकात करूँगा,
कुछ पैगाम दूंगा,
इस अदा का शुक्रगुजार रहूँगा.......।
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