लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

386 पाठक हैं

कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

31. मैंने दिल का प्रश्न किया तो

 

मैंने दिल का प्रश्न किया तो उसने उसे गणित का माना।
और फटाफट शुरू कर दिया उसी तरह से जोड़-घटाना।।

मैंने पूछा- क्या होता जब
दो से दो टकराती आँखें।
वो बोला- दो से दो जुड़कर
सिर्फ़ चार हो जाती आँखें।
ऐसे में कितना मुश्किल है आँखों-आँखों प्यार जताना।
मैंने दिल का प्रश्न किया तो उसने उसे गणित का माना।।

मैंने पूछा- दो दिल मिलकर
कब हो जाते एक बताओ।
वो बोला- मिलकर दो होंगे
तुम न व्यर्थ में एक घटाओ।
ऐसे में कितना मुश्किल है उससे दिल की बात बताना।
मैंने दिल का प्रश्न किया तो उसने उसे गणित का माना।।

प्रश्न प्यार में डूबा हो तो
उत्तर प्यार भरा जँचता है।
जोड़-घटाना-गुणा-भाग में
कुछ भी शेष नहीं बचता है।
ये सब उसे पता है फिर भी मुझे चिढ़ाता मीत सयाना।
मैंने दिल का प्रश्न किया तो उसने उसे गणित का माना।।

 

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book