लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

386 पाठक हैं

कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

39. मन ने याद किया है

 

आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।
इक मनभावन छवि को फिर दरपन ने याद किया है।।

याद तुम्हारी आई है अब
तुमको आना होगा।
मेरे जीवन के पल-पल को
फिर महकाना होगा।
इसीलिए ख़ुशबू को फिर चन्दन ने याद किया है।
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।।

कब से आस लगाये बैठा
लेकर रीती गागर।
तुम चाहो तो गागर में ही
भर जायेगा सागर।
इसीलिए बरखा को फिर सावन ने याद किया है।
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।।

बिना तुम्हारे हो सकता हूँ
मैं न कभी भी पूरा।
नाम तुम्हारा लिए बिना है
मेरा नाम अधूरा।
इसीलिए राधा को फिर मोहन ने याद किया है।
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।।

 

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book