ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
13. पिता शाम को जब घर आता
पिता शाम को जब घर आता
अपने आपको थका सा पाता
जब मैं पानी पिता को देती
देख मुझे वह खुश हो जाता
मुझे गोद में पिता उठाता
बाहर दुकान से चीज दिलाता
खुश हो थकान मिटा देती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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