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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


13. पिता शाम को जब घर आता


पिता शाम को जब घर आता
अपने आपको थका सा पाता
जब मैं पानी पिता को देती
देख मुझे वह खुश हो जाता

मुझे गोद में पिता उठाता
बाहर दुकान से चीज दिलाता

खुश हो थकान मिटा देती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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